
एक महीने में 30 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. मलेरिया का कहर क्या टूटा बच्चे बूढे और जवान सब इसकी चपेट में आ गए. मुंगेर के मलेरिया अधिकारी बताते हैं कि एक खतरनाक मच्छर के काटने से लोगों की मौत हो रही है. अब तक 1500 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. जो इलाज करने में देर करते हैं उनके बचने की उम्मीद नहीं है. अगर ये अधिकारी महोदय सिर्फ ये बताने के लिये नौकरी कर रहे हैं तो ये काम तो कोई भी कर सकता है. बदकिस्मती देखिए बीमारी फैलने के बाद हमारी व्यवस्था ऐसी लचर है कि मलेरिया को रोकने के लिये भी दिल्ली से डाक्टरों की टीम बुलाई जाती है. आठ डाक्टर आए. खड़गपुर हवेली के उन इलाकों में भी गए जहां ये बीमारी मौत का तांडव कर रही है. दिल्ली से आई टीम के सदस्यों के मुताबिक उनका काम इस बीमारी को लेकर एक रिपोर्ट दिल्ली में जमा करना है. सो ये रिपोर्ट भी जमा हो जाएगी.
मलेरिया कोई स्वाइन फ्लू तो है नहीं इसलिये इस पर किसी का ध्यान नहीं जाएगा. स्वाइन फ्लू को देखिए कितनी खतरनाक बीमारी है. मरने वालों की गिनती एक से शुरु हुई तो अब हजार को छूने जा रही है. वाजिब है, इसमें मरने वाले देश के बड़े बड़े शहरों के वे लोग हैं जिनके बटुए में विदेश जाने की ताकत है. वो हवाई सफर कर विदेश से लौटे तो साथ में ये बीमारी ले आए. फिर अपने दोस्तों से मिले. विदेश जाने की ताकत रखने वालों के दोस्त भी तो पावरफुल और पैसे वाले ही होते हैं. अब इन लोगों की जान जा रही है तो देश की मीडिया सुबह सबेरे रो रही है. लेकिन खड़गपुर हवेली के गांवों में मरने वाले तो गरीब लोग थे इसलिए इसके बारे में खबरें छोटे मोटे अखबारों में ही सिमट कर रह गई.
हमारे अधिकारी, सांसद और विधायक जी भी फ्लू से बचने के लिए नाक में रुमाल लगाए घूम रहे हैं. किसी ने इन गरीब जनता के साथ हमदर्दी दिखाने की भी जहमत नहीं उठाई.
मलेरिया कोई स्वाइन फ्लू तो है नहीं इसलिये इस पर किसी का ध्यान नहीं जाएगा. स्वाइन फ्लू को देखिए कितनी खतरनाक बीमारी है. मरने वालों की गिनती एक से शुरु हुई तो अब हजार को छूने जा रही है. वाजिब है, इसमें मरने वाले देश के बड़े बड़े शहरों के वे लोग हैं जिनके बटुए में विदेश जाने की ताकत है. वो हवाई सफर कर विदेश से लौटे तो साथ में ये बीमारी ले आए. फिर अपने दोस्तों से मिले. विदेश जाने की ताकत रखने वालों के दोस्त भी तो पावरफुल और पैसे वाले ही होते हैं. अब इन लोगों की जान जा रही है तो देश की मीडिया सुबह सबेरे रो रही है. लेकिन खड़गपुर हवेली के गांवों में मरने वाले तो गरीब लोग थे इसलिए इसके बारे में खबरें छोटे मोटे अखबारों में ही सिमट कर रह गई.
हमारे अधिकारी, सांसद और विधायक जी भी फ्लू से बचने के लिए नाक में रुमाल लगाए घूम रहे हैं. किसी ने इन गरीब जनता के साथ हमदर्दी दिखाने की भी जहमत नहीं उठाई.
मुंगेर और इसके आसपास के इलाके में मेडिकल सेवा के नाम पर हास्पिटल तो हैं लेकिन किसी महामारी से लड़ने की ताकत इस डिपार्टमेंट में नहीं है. खड़पुर हवेली में मरने वाले लोग इस बात के गवाह हैं कि हमारा स्वास्थ्य विभाग तो सर्दी बुखार से लड़ सकता है लेकिन उससे ज्यादा कुछ भी होता है तो पूरे डिपार्टमेंट के हाथ पैर फूलने लगते हैं. हास्पिटल है लेकिन ना तो सही ढंग के वार्ड ना है ना ही बिस्तर है. ये हाल तो मुंगेर के होस्पिटल का है. ब्लाक और गांवों की हालत के बारे में कुछ ना बोलना ही ठीक ही रहेगा. वैसे मुंगेर के लोगों के लिये ये जानना भी जरूरी है कि हमारा देश और खासकर इस देश के कई ऐसे शहर हैं जो दुनिया भर में मेडिकल टूरिज्म के डेस्टिनेशन के सबसे आगे हैं. मतलब यह कि इन शहरों के हास्पिटल में अमेरिका और यूरोप से लोग इलाज करवाने आते हैं. यहां दुनिया से सबसे अव्वल तकनीक मौजूद है और वो भी सस्ते दामों में. विदेशियों की जान बचाने के लिये हमारी सरकार इन हास्पिटलों को जमीन देती है साथ ही कई तरह की छूट. लेकिन पता नहीं क्यों मुंगेर और खड़गपुर जैसे इलाकों में रहने वाले गरीब जनता पर सरकार की नजर जाती है.
हम जिस भारत में रहते हैं यहां दो भारत है. एक जिसे गरीबी लाचारी और अंधेरे में सड़ने छोड़ दिया गया है दूसरा भारत वो है जहां अमीर और शक्तिशाली रहते हैं, जहां किसी को छींक भी आ जाए तो एक मिनट के अंदर ये अहसास कर दिया जाता है कि हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था दुनिया के किसी भी दूसरे देश से कम नहीं है.
हम जिस भारत में रहते हैं यहां दो भारत है. एक जिसे गरीबी लाचारी और अंधेरे में सड़ने छोड़ दिया गया है दूसरा भारत वो है जहां अमीर और शक्तिशाली रहते हैं, जहां किसी को छींक भी आ जाए तो एक मिनट के अंदर ये अहसास कर दिया जाता है कि हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था दुनिया के किसी भी दूसरे देश से कम नहीं है.
बहुत उम्दा लिखा है आपने,सरकारी अधिकारियों का काम सरकारी जवाब देना ही रह गया है.कभी फुर्सत हो आईए इधऱ भी
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ReplyDeleteread enterprising woman constable of Bihar Police has been luring extremely poor children, including slum-dwellers and street children, to soccer to give them new lives.
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