
पुलिस कस्टडी में कोर्ट में पेश होने वाले कैदियों ने बमबारी कर यह साबित कर दिया है कि जेल के अंदर हो या बाहर मुंगेर के अपराधी हर खौफनाक साजिश को अंजाम देना जानते हैं. मुंगेर की अदालत में दिन दहाड़े हुई बमबारी और एक कैदी के फरार हो जाने से बिहार पुलिस और प्रशासन के सारे दावों को पोल खोल गई है. अब देखना यह है कि इस घटना में शामिल लापरवाह पुलिस वालों को क्या सज़ा मिलती है.
ये घटना कुछ ऐसी है कि हत्या के एक मामले में मुंगेर जेल में बंद चार कैदियों को पेशी के लिए न्यायालय लाया गया था. पेशी के बाद सभी को वापस ले जाने की कार्रवाई शुरु हुई. कैदियों को जेल ले जाने के लिए पुलिस की गाड़ी पर सवार किया जा रहा था तभी कैदियों ने एक के बाद एक चार बम विस्फोट किए. पुलिस के मुताबिक बम चलाने वाले कैदियों में डैनी और अमित था. योजना के मुताबिक पुलिस पर बमबारी कर ये कैदी भागने लगे.
कैदियों ने तो अपनी तरफ से भागने की फुलप्रूफ तैयारी की थी लेकिन उनसे एक चूक हो गई. उन्हें यह पता नहीं था कि वे जहां से भाग रहे हैं वहां सैप के जवान भी तैनात हैं. बमबारी के बाद जैसे ही अफरा तफरी मची वैसे ही सैप के जवानों ने पोजीशन ले लिया और कैदियों पर गोलियां चलाई. इस कार्रवाई में डैनी यादव की मौत हो गयी जबकि एक अन्य कैदी अमित मंडल को पुलिस ने पकड़ लिया. लेकिन तीसरा कैदी सजीत यादव वहां से भागने में कामयाब रहा. चौथा कैदी सोनू राम जवाबी कार्रवाई से सहम गया और उसने भागने की कोशिश नहीं की वह वहीं खड़ा रहा.
डैनी मुंगेर के लाल दरवाजे का निवासी था और वह एक हत्या के मामले का आरोपी था. वह एक साल से जेल में बंद था. पुलिस को चकमा देकर फरार होने वाला कैदी सुजीत यादव भी उसी मुहल्ले का रहने वाला है. वह हत्या के मामलों में आरोपी है और पिछले दो वष्रो से जेल में बंद था. अमित मंडल जमालपुर का रहने वाला है और वह करीब आधा दर्जन मामलों में आरोपी है.
मुंगरे की इस घटना का स्क्रिप्ट किसी बालीवुड फिल्म से कम नहीं है. मुजरिम खतरनाक थे, हत्या जैसे मामले में जेल के अंदर थे. लेकिन जिस तरह से इस घटना को अंजाम दिया गया उससे तो यही लगता है कि कैदियों ने भागने का पूरा प्लान जेल के अंदर ही बना लिया था. इस प्लानिंग में बाहर के लोग भी शामिल थे. घटना को देखते हुए इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि कुछ पुलिसवाले भी इनकी साजिश में शामिल हो. इस घटना से जुड़े कई सवाल हैं. इन कैदियों के पास इतने सारे बम कहां से आए. क्या किसी ने जेल के अंदर उन्हें बम पहुंचाया? जिसे वो पेशी के दिन अपने साथ लेकर आए थे. या किसी ने पेशी के दौरान पुलिस कस्टडी में पुलिस के मौजदगी के बीच उन्हें बमों की सप्लाई की?
सोचने वाली बात यह है कि अगर ये कैदी जेल से पुलिस की निगरानी में बाहर निकले तो जेल से बाहर निकलते वक्त उनकी चेकिंग हुई होगी. अगर चेकिंग नहीं हुई तो यह तो जेल में तैनात पुलिसवालों की लापरवाही है. अगर चेकिंग हुई तो इसका मतलब यह है कि पुलिस कस्टडी में ही कोर्ट परिसर में किसी ने उन्हें बम दिया होगा. फिर यह सवाल उठता है कि पुलिस कस्टडी में उनसे कौन मिला? बम किसने दिया? पुलिस वालों ने इतने खतरनाक अपराधी को किसी आनजान आदमी से इन्हें मिलने क्यों दिया? अगर पुलिस वालों ने किसी को उन कैदियों से मिलने दिया तो इसका मतलब यह है कि इस घटना के लिये ये पुलिस वाले भी जिम्मेदार हैं.
जो लोग मुंगेर को अच्छी तरह से नहीं जानते उन्हें यह जानना जरूरी है कि इन अपराधियों का मुहल्ला, लाल दरवाजा और मुंगेर कोर्ट परिसर बिल्कुल आस पास हैं. इसका मतलब है जब जेल में इन कैदियों ने कोर्ट परिसर से भागने की योजना बनाई होगी तो ये भी तय कर लिया होगा कि कोर्ट से बाहर निकल कर कहां जाएंगे. कौन गाड़ी कहां इंतजार कर रही होगी आदि आदि. इसलिये जो कैदी फरार है उसे पकड़ना मुश्किल हो सकता है. अब तक वो मुंगेर छोड़कर किसी दूर के इलाके में पहुंच चुका होगा.
वैसे भी मुंगेर कोर्ट में गोलीबारी और बमबारी की ये कोई पहली घटना नहीं है. हम बचपन से सुनते आए हैं कि कोर्ट में गोली चली वो अपराधी मारा गया और वो अपराधी भाग गया. बिहार के लोग जानते हैं किस तरह से पेशी के दौरान पुलिस कस्टडी में कोर्ट के बाहर पुलिस पैसे लेकर खतरनाक अपराधियों को लोगों से मिलने दिया जाता है. इस दौरान लोग जेल के अंदर रहने वाले अपराधियों को पैसा और खाना देने दिया जाता है. लेकिन जब मामला मुंगेर के इस घटने में शामिल खुंखार अपराधियों का हो तो पुलिस को सावधानी बरतनी की जरूरत है. पुलिस के मुताबिक इस मामले की तहकीकात हो रही है. लेकिन यह साफ साफ लगता है कि इन अपराधियों के साथ साथ पुलिस की लापरवाही शामिल है. वैसे सरकारी काम है तो पुलिस तो तहकीकात करेगी, रिपोर्ट तैयार करेगी, फिर डिपार्टमेंट एक्शन लेगा फिर जाकर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी. आज के रॉकेट ऐज में तब तक इस घटना को शायद कोई भी ना रखे.
ये घटना कुछ ऐसी है कि हत्या के एक मामले में मुंगेर जेल में बंद चार कैदियों को पेशी के लिए न्यायालय लाया गया था. पेशी के बाद सभी को वापस ले जाने की कार्रवाई शुरु हुई. कैदियों को जेल ले जाने के लिए पुलिस की गाड़ी पर सवार किया जा रहा था तभी कैदियों ने एक के बाद एक चार बम विस्फोट किए. पुलिस के मुताबिक बम चलाने वाले कैदियों में डैनी और अमित था. योजना के मुताबिक पुलिस पर बमबारी कर ये कैदी भागने लगे.
कैदियों ने तो अपनी तरफ से भागने की फुलप्रूफ तैयारी की थी लेकिन उनसे एक चूक हो गई. उन्हें यह पता नहीं था कि वे जहां से भाग रहे हैं वहां सैप के जवान भी तैनात हैं. बमबारी के बाद जैसे ही अफरा तफरी मची वैसे ही सैप के जवानों ने पोजीशन ले लिया और कैदियों पर गोलियां चलाई. इस कार्रवाई में डैनी यादव की मौत हो गयी जबकि एक अन्य कैदी अमित मंडल को पुलिस ने पकड़ लिया. लेकिन तीसरा कैदी सजीत यादव वहां से भागने में कामयाब रहा. चौथा कैदी सोनू राम जवाबी कार्रवाई से सहम गया और उसने भागने की कोशिश नहीं की वह वहीं खड़ा रहा.
डैनी मुंगेर के लाल दरवाजे का निवासी था और वह एक हत्या के मामले का आरोपी था. वह एक साल से जेल में बंद था. पुलिस को चकमा देकर फरार होने वाला कैदी सुजीत यादव भी उसी मुहल्ले का रहने वाला है. वह हत्या के मामलों में आरोपी है और पिछले दो वष्रो से जेल में बंद था. अमित मंडल जमालपुर का रहने वाला है और वह करीब आधा दर्जन मामलों में आरोपी है.
मुंगरे की इस घटना का स्क्रिप्ट किसी बालीवुड फिल्म से कम नहीं है. मुजरिम खतरनाक थे, हत्या जैसे मामले में जेल के अंदर थे. लेकिन जिस तरह से इस घटना को अंजाम दिया गया उससे तो यही लगता है कि कैदियों ने भागने का पूरा प्लान जेल के अंदर ही बना लिया था. इस प्लानिंग में बाहर के लोग भी शामिल थे. घटना को देखते हुए इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि कुछ पुलिसवाले भी इनकी साजिश में शामिल हो. इस घटना से जुड़े कई सवाल हैं. इन कैदियों के पास इतने सारे बम कहां से आए. क्या किसी ने जेल के अंदर उन्हें बम पहुंचाया? जिसे वो पेशी के दिन अपने साथ लेकर आए थे. या किसी ने पेशी के दौरान पुलिस कस्टडी में पुलिस के मौजदगी के बीच उन्हें बमों की सप्लाई की?
सोचने वाली बात यह है कि अगर ये कैदी जेल से पुलिस की निगरानी में बाहर निकले तो जेल से बाहर निकलते वक्त उनकी चेकिंग हुई होगी. अगर चेकिंग नहीं हुई तो यह तो जेल में तैनात पुलिसवालों की लापरवाही है. अगर चेकिंग हुई तो इसका मतलब यह है कि पुलिस कस्टडी में ही कोर्ट परिसर में किसी ने उन्हें बम दिया होगा. फिर यह सवाल उठता है कि पुलिस कस्टडी में उनसे कौन मिला? बम किसने दिया? पुलिस वालों ने इतने खतरनाक अपराधी को किसी आनजान आदमी से इन्हें मिलने क्यों दिया? अगर पुलिस वालों ने किसी को उन कैदियों से मिलने दिया तो इसका मतलब यह है कि इस घटना के लिये ये पुलिस वाले भी जिम्मेदार हैं.
जो लोग मुंगेर को अच्छी तरह से नहीं जानते उन्हें यह जानना जरूरी है कि इन अपराधियों का मुहल्ला, लाल दरवाजा और मुंगेर कोर्ट परिसर बिल्कुल आस पास हैं. इसका मतलब है जब जेल में इन कैदियों ने कोर्ट परिसर से भागने की योजना बनाई होगी तो ये भी तय कर लिया होगा कि कोर्ट से बाहर निकल कर कहां जाएंगे. कौन गाड़ी कहां इंतजार कर रही होगी आदि आदि. इसलिये जो कैदी फरार है उसे पकड़ना मुश्किल हो सकता है. अब तक वो मुंगेर छोड़कर किसी दूर के इलाके में पहुंच चुका होगा.
वैसे भी मुंगेर कोर्ट में गोलीबारी और बमबारी की ये कोई पहली घटना नहीं है. हम बचपन से सुनते आए हैं कि कोर्ट में गोली चली वो अपराधी मारा गया और वो अपराधी भाग गया. बिहार के लोग जानते हैं किस तरह से पेशी के दौरान पुलिस कस्टडी में कोर्ट के बाहर पुलिस पैसे लेकर खतरनाक अपराधियों को लोगों से मिलने दिया जाता है. इस दौरान लोग जेल के अंदर रहने वाले अपराधियों को पैसा और खाना देने दिया जाता है. लेकिन जब मामला मुंगेर के इस घटने में शामिल खुंखार अपराधियों का हो तो पुलिस को सावधानी बरतनी की जरूरत है. पुलिस के मुताबिक इस मामले की तहकीकात हो रही है. लेकिन यह साफ साफ लगता है कि इन अपराधियों के साथ साथ पुलिस की लापरवाही शामिल है. वैसे सरकारी काम है तो पुलिस तो तहकीकात करेगी, रिपोर्ट तैयार करेगी, फिर डिपार्टमेंट एक्शन लेगा फिर जाकर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी. आज के रॉकेट ऐज में तब तक इस घटना को शायद कोई भी ना रखे.
नीतिश कुमार की सरकार आने से लोगों ने यह उम्मीद की थी कि अपराध और अपराधियों पर लगाम लगेगी लेकिन मुंगेर एक बार फिर गलतवजहों से सुर्खियों में आ गया है. सरकार को इस घटना से सचेत हो जाना चाहिए. इस घटना से जुड़े पुलिस अधिकारियों को सज़ा मिलनी चाहिए जिनकी लापरवाही से प्रशासन के मुंह पर कालिख पुती है.
hello... hapi blogging... have a nice day! just visiting here....
ReplyDeleteCriminal are able to use mobile phone inside the jail and threating local public for ransom, this is just a trailer dude... Do not know what is going on there..
ReplyDeleteCriminal are able to use mobile phone inside the jail and threating local public for ransom, this is just a trailer dude... Do not know what is going on there..
ReplyDeleteread पुलिस कस्टडी में कोर्ट में पेश होने वाले कैदियों ने बमबारी कर यह साबित कर दिया है कि जेल के अंदर हो या बाहर मुंगेर के अपराधी हर खौफनाक साजिश को अंजाम देना जानते हैं
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